The Coming of Age

During Emergency, I had written a poem which is relevant even today. In fact famous poet late Sh.Maithali Sharan Gupta had written : मेरा देश महान बने। I converted into a satire.

यह मेरा देश है
जहाँ देश के ठेकेदर gaon की हरयाली को
आवारा लावारिस शहरी कुत्तों के सुपुर्द कर
आराम की नींद सोते हैं
तथा देश के रहनुमा -
कागज़ी डोल्लोरों, नंगी तस्वीरों तथा सोमरस के बोझ तले दबे
एक ही रट लगे रहते हैं -
अनुशासन ही देश को महान बनाता है।

यह मेरा देश है
जहाँ दिन के सो जाने पर
एक और दिन जगाता है।
चरस से लेकर टिंचर-जिंजर
तथा स्वदेशी बदन से लेकर विदेशी सुइयों तक के हाट लगते हैं।
दिन के उजाले में सोती टेलेफोन की तारें, गीध, सयार
देश का बोझ अपने कन्धों पर धो लेते हैं i
मेरे देश में उल्लू का नाम
मुफ्त में बदनाम है ।

यह मेरा देश है
जहाँ बारह करात के जवान और आई एस आई मार्क लगी लड़कियां
ढलते बदन और उघडते पेट
कंधे से कन्धा मिला कर चलते
अपने पैदायशी लिबास में लौट आते हैं।
आदम और हव्वा का किस्सा - इतिहास
अपने आप को बार बार दोहराता है।

यह मेरा देश है जहाँ सेक्स शब्द का इस्तेमाल
काम के लिए होता है परिचर्चा के लिए नहीं i
शरहों की गलियों में पड़े गले सादे निठुदे निरोध
अपनी कहानी खुद सुनते मिल जाते हैं।

THE poem is very lengthy. The last paragraph is :

यह मेरा देश है
जहाँ का बचपन
मरास्मुस और क्वर्शिओकोर जैसी बिमारिओं से सुसज्जित
और जवानी कुष्ठ रोग और विभिन्न गुप्त रोगों से अलंकृत है।
चोरी, धोखाधड़ी, बेगारी, बलात्कार, हत्याओं सो भरे
मेरे इस देश के हर शहर के
हर मोहल्ले के हर मकान की हर दीवार की हर ईट पर लिखा है -
देश का भविष्य आपके हाथ में है।

मेरा देश बहुत महान है।
मैं रोज़ सुबह उठ कर इसका गुणगान करता हूँ।

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