कुछ लोग ...
लोग बिछुड़ जाते है दो राहे पर , हम एक राह चले ,कुछ पीछे छुट गए कुछ आगे निकल गए । कोई आबे हयात था ,कोई दिल का सबाब कोई आबे जमजम था कोई मन का खवाब कोई चश्मे नूर ,तो कोई लखते जिगर कोई हमनशीं ,हमराज कोई हमसफ़र हमराह ,हमप्याला .हमनिवाला ,हमनज़र अब कोई नही किसी की ख़बर वक्त की दल दल में कुछ तो फिसल गए काल के साए कुछ को निगल गए । और कुछ तो ऐसे थे न जाने कैसे-कैसे थे - कमबख्त, कमजर्फ बददिमाग, बदमिजाज़, बदलहाजिब बदगुमान बेमुरब्बत, बेहया और बदजुबान हाथ मिलाया, काँधे चद्का आगे निकल गए ।